|
|
आज के
संवेदनहीन समाज में-
हो रहा है क्षरण मानव-मूल्यों का निरंतर।
लालच, अनैतिकता तथा असंतोषड्ढके साथ-
भ्रष्टाचार, अनाचार
और दुराचार
बन गये हैं मूल समस्यायें।
मनुष्य है आज आधीन
राग, द्वेष, क्रोध
और मोह के।
पूरा का पूरा समाज
कर रहा है आचरण
प्रकृति के शाश्वत सिद्धांतों के विपरीत।
अपराध, भूख, ग़रीबी
व्याप्त है सर्वत्र।
धैर्य, विश्वास, सत्य पर
समाप्त हो गई है आस्था मनुष्य की।
मानव कर रहा है बर्बर आचरण
पाषाण-युग तथा पशु-युग जैसा।
मानवीय जीवन हो गया है
सतही, उथला और मायाबी।
टकरा रहे हैं परस्पर स्वार्थ, राष्ट्रों के,
भिड़ रहे हैं इज़रायल और फिलिस्तीन,
बढ़ रहा है संघर्ष अमेरिका-ईरान के बीच,
पनप रहा है आतंकवाद
अरब, पाकिस्तान और अफग़ानिस्तान में
सारी दुनिया हो रही है
अस्थिर-अशांत।
|
In the insensitive society of today
human values are
continuously deteriorating.
Greed, immorality and dissatisfaction
along with corruption, malpractice
and misconduct
have become the root problems.
Today, man is
a slave to love, hatred, wrath
and allurement.
The entire society is
acting against
the perpetual principles of nature.
Crime, hunger, poverty are
dominant everywhere.
Man's faith in patience, trust, truth
is shattered.
Man is performing barbaric acts,
like the Stone Age and the Animal Age.
Human life has become
superficial, shallow and delusive.
Self interests break out among nations,
arising clashes between Israel and Philistine,
increasing animosity between America and Iran,
growing terrorism
in Arab, Pakistan and Afghanistan.
The whole world is becoming
unstable— agitated.
|
Sunday, November 29, 2015
The Whole World
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment