Sunday, November 29, 2015

Come To See

 आओ देखने
 Come To See

दुनिया के दयावानो!
यहाँ के हर पेड़ का शोक-गीत सुनने
तुम आओ।

मौत से जूझते
पंछियों-परिन्दों का शोर सुनने
तुम आओ।

आओ देखने जगह-जगह लगे
लाशों के बाज़ार।
और शहतूत की तरह
सड़ी-गली देहों का बंटवारा
कुत्तों, गीदड़ों, चीलों और कौवों के बीच।

आओ देखने यहाँ
धर्म के नाम पर निर्मित
रक्तजीवी सभ्यतायें,
परिन्दों के नुचे, कुम्हलाये पंखों की परतों से,
ढकी हुई धरती देखने
तुम आओ।

आओ देखने, दयावानो!
लम्बा-चैड़ा और साफ-सुथरा
विचारों का कब्रिस्तान यहाँ।

तुम्हारे अपनों की आँखों से झरते
हरसिंगार के एक-एक फूल को
बीनने-बटोरने
तुम आओ।

आओ और देखो
उगते कमल,
रक्त के तालाबों में-
रुधिर से भीगा मलयानिल
और पंख कटी चिड़ियाँ
देते हैं तुम्हें निमंत्राण
कि अपनी मीठी और
शर्बती थकान को विदा दे
तुम आओ।

और चाँदनी वाले रेत पर
खामोश बैठ
देखो अपनी इस फुलवारी में
फूलों से झरती पंखुरियाँ पीली

बदबूदार रक्त के तालाब में।

O philanthropists of the world!
To hear elegy of each tree here 
you come.

To hear cries of birds 
fighting with death
you come.

Come to see here and there 
stalls of dead bodies.
And distribution of bodies
rotten like mulberry 
among dogs, jackals, kites and crows.

Come to see here
blood-thirsty civilizations
formed in the name of religion,
the earth covered with 
layers of scratched, withered feathers of birds,
you come.

Come to see, O philanthropists! 
lengthy, broad, neat and clean 
graveyard of thoughts here.

Come
to collect 
each and every flower of Harsingar
shedding from the eyes of your people.

Come and see
growing lotus,
in the ponds of blood
Malyaanil drenched in blood
and birds with clipped wings
invite you
to say good bye 
to your sweet and flashy fatigue,
you come.

And sitting silently
on the moon-lit sand
look at this flowery land of yours—
yellow leaves falling from the flowers
in the stinking pond of blood.

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