मैं तुम्हारे विश्व-परिवार में
सभी की चरण-धूलि का एक कण हूँ।
गर्व है इसका मुझे।
पर साहस नहीं होता-अपने पास तुम्हें बुलाने का
बिठाऊँ भी तो कहाँ?
दीपक, तेल, बाती भी तो नहीं है मेरे पास।
पालामारी मेरी जीवनरूपी फुलवारी
अब मुर्झा गई है, सूख गई है
विषैली हवाओं के झोंके सहते-सहते।
उसमें न तो कोई कली है,
न फूल और न अन्न।
माला भी नहीं गूँथ सकूँगा मैं
कैसे उतार पाऊँगा तुम्हारी आरती मैं?
प्रभो मेरे!
मेरी दीनता तुम्हारे प्रेम में
अकेले ही नाचना-गाना चाहती है
तुम अपनी बाँसुरी बजाओ
और फुटाओ अपने गीतों की गंध
तथा देखो मेरी दीनता का नृत्य।
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In your cosmic family
I am a particle of dust of everyone's feet.
I am proud of this.
Daren't call you to me,
where do I make you sit?
Even no lamp, oil or wick I have with me.
Frost-stricken my garden of life
is now withered, dried
facing the blows of poisonous winds.
No bud, no flower,
nor seed left in it.
Won't I make even a garland from it!
How shall I adore You with Aarati?
O my God!
My indigence in your love
wants to dance— sing alone.
Please play on your flute
and spread aroma of your songs
and watch the dance of my indigence.
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Sunday, November 29, 2015
Dance Of My Indigence
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