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हृदय कमल!
गेहूँ-सरसों के खेतों में खड़ा
मैं भले ही स्वर्ण गीत गा रहा हूँ,
पर तुम मेरे भीतर सब की आग उंडेल दो।
दे दो मुझे सबके आँसू पीने के लिए।
इस भयानक काली रात में,
संसार सो रहा है तो सोने दो,
पर लपलपाती आग के बिछौने पर
तुम मुझे काँटों भरा जागरण दे दो।
तुम मेरे भीतर की खुशबू को विष पिला दो-
पर मिला लेने दो हाथ हर आदमी से और
कर लेने दो अभिषेक उन सबका इन करों से।
प्रभो! चीड़ की सूखी डाल पर बैठी,
उदास चिड़िया को,
प्यार के बीज बोने वाले मेरे गीत दे दो-
मेरे गीत-जो खोजते हैं भोर-किरन कीचड़ में,
करते हैं निपट नंगा हर अंधेरे को,
लेते हैं सत्य और न्याय को अपने हाथों में।
वो दो इस शस्य-श्यामला धरती के कन-कन में।
और कायाकल्प कर देने वाले कुहरे से
तथा परछाइयाँ बदलते अँधेरे से
भिड़ लेने दो मुझे जी भर,
पहले इसके कि मेरे जीवन के अंगारे-
बदल जायें बुझी राख में
और शूलों पर हँसने का साहस
खण्ड-खण्ड हो, रेशा-रेशा हो बिखर जाये।
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O Lotus Heart!
Standing in the fields of wheat, mustered,
even though I am singing a golden song,
infuse inferno of one and all into me.
Give me tears of one and all to drink.
In this horrible dark night
if the world is sleeping, let it sleep,
But, on the bed of flickering flames
give me thorny wakefulness.
Cause the fragrance in me to drink poison,
but let me shake hands with
each and every man and
abhishek (sprinkle Roli-Akshat on)
them with my these hands.
Prabho! Give that upset bird,
sitting on a dried branch of pine tree,
my songs sowing the seeds of love—
my songs that search the dawn-beam in sludge,
make every shadow completely nude,
bear truth and justice in their hands.
Sow them in each and every particle of
this Shashya-shyamala earth.
And let me fight in full swing
with the transforming fog
and the darkness changing its shadows,
lest the cinders of my life
should change into ashes,
and my courage to laugh at thorns
should break into pieces—
blow up into particles.
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Sunday, November 29, 2015
Let Me Fight
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