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यह दर्दीली कथा-विथा अपनी
किसे सुनायें हम।
संगीनों के साये में हैं
स्वयं भगवान।
निगल लिया है सभी कुछ
शांति और सद्भाव-
इस वैश्या राजनीति ने।
रामराज्य कहीं खो गया है।
ली जाती है परीक्षा ईमानदारी की।
सुबहें-शामें दहशत में हैं
सड़कें डरी-डरी,
और गलियां गूंगी,
तथा सदियां नंगी हो गई हैं आज।
मासूम बना रहे हैं बम्ब,
दूध-सने होठों पर
लिखे जा रहे हैं
आखर आतंकवाद के।
किसे सुनायें
यह दर्दीली कथा-विथा अपनी।
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To whom should we narrate
this painful story of ours.
God himself is
under the custody of bayonets.
This whore politics
has devoured all—
peace and harmony.
Ramrajya is lost somewhere.
Honesty is put on test.
Mornings— evenings are terrified,
the roads are scared of,
and the lanes speechless,
and the centuries have become naked today.
The innocents are making bombs,
the words of terrorism
are being written
on the milk-stained lips.
Whom to tell
this painful story of ours?
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Sunday, November 29, 2015
Whom To Tell
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