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आज का मानव
घिर गया है संदेहों और शंकाओं से
सारे मानसिक सहारे और धारणायें
हो गई हैं खण्डित।
अर्थहीन हो गये हैं-
रूढ़ियाँ, परम्परायें और संस्कार।
ईश्वर से उसकी श्रद्धा हटती जा रही है-
और वह स्वयं
सृष्टि का नियामक बनना चाहता है।
नास्तिक होने के साथ ही साथ
बन गया है वह विस्फोटक
अधिकार में करने के लिए
धरती के कुछ टुकड़े।
अतः वह बहा रहा है खून की नदियाँ
भले ही चीख-चिल्ला रहे हैं
अधमरे मुर्दे चारों ओर उसके।
वह धार्मिक होकर भी
आज अधार्मिक है,
तथा फूलों की सुरभि के स्थान पर,
बारूदी धूल फैला रहा है।
सचमुच, वह काली झील के दैत्य से
प्रतिबद्ध हो गया है।
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Today's man
is surrounded by doubts and skeptics.
All the mental supports and conceptions
have become refuted.
Customs, traditions and Sanskar
have become meaningless.
His trust in God is shrinking
and he himself
wants to become the regulator of the universe.
Along with being an atheist,
he has become the detonator
for getting command over
some parts of the earth.
Hence, he is shedding the rivers of blood,
even though the half dead bodies are
screaming— crying all around him.
In spite of being religious,
he is irreligious,
and in place of the fragrance of flowers,
spreading the explosive dust.
Actually, he has made his alliance with
the devil of the black lake.
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Sunday, November 29, 2015
Today's Man
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