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जब मैंने अपना सब कुछ तुम्हें सौंप दिया,
तुम मेरी जीवन-नौका के केवट बने।
और उतार दी जीवन-नौका तुमने,
संसार-सागर के गहरे पानी में।
दुनिया को यह भला नहीं लगा
सभी बाधायें पार करते हुए,
तुमने मेरी नाव लगा दी तट से
और डाल दिया लंगर।
पिता मेरे! मैं असमंजस में हूँ,
कि क्या उतराई दूँ तुम्हें अब,
जबकि अपना सब कुछ
समर्पित कर चुका हूँ पहले ही।
अब तो मैं
सावन के बरस गये बादलों-सा
रीता-रीता हूँ।
अपनी करुणा की स्वर्ण मुद्रायें
मेरे जीवन में
बिखेर
मुझे फूलों लदी लता-सा
धनवान बना दो।
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When I entrusted You everything of mine,
You became a mariner of my life-boat.
And You released it
in the deep water of corporeal world.
The world cherished it not well,
overcoming all the hurdles,
You carried my boat to the shore
and anchored it.
My Father! I am in a dilemma—
how much fare should be given to You now,
whereas I have already entrusted to
You everything of mine.
Now, I am just like
the rained clouds of Sawan—
completely empty.
Scattering
golden currency of Your compassion
in my life,
please make me rich
like a vine laden with flowers.
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Sunday, November 29, 2015
Make Me Rich
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